सारा जहाँ हमारा
वो एक लम्हा अब तक प्यासा है
उसके हाथ मे अब तक कासा है
वही हाल है अब तक दीवानों का
लूब टिशणा हैं होश ज़रा सा है
कोई दूं तूफान उठने वाला है
ये खामोशी सिर्फ़ एक झाँसा है
जो पावास्त है मुझ मे एमान सा
वो ख़याल महज़ एक दिलासा है
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