शुक्रवार, 25 मार्च 2022

आए मा..................



हन मा तू ने ही मुझे हन

काँटों पे चलना सिखाया था

उलझी हुई दुनिया मे सुलझने का

हौसला तुझ से ही तो पाया था

तेरी एक उंगली का सहारा ले कर

ठोक्रों से खुद को बचाया था

आए मा ,तेरी कसोटी बन कर

मैने तुझे  कितना सताया था

उम्र हावदिस हालात के तूफान से

तेरे आँचल ने मुझ को बचाया था

तू मुझे एक पल को नही भूली

मेरी खातिर खुद को भुलाया था

आज मा दामन है तेरा खाली

तेरा गुलशन ही तेरा सरमाया था

उडद गये हाथों से तेरे टोतते

जिन्हें तूने उड़ना सिखाया था

आज उन आँखों मे हैं आँसू

जिन्हों ने कभी तुझ को रुलाया था

देख क्या मर्ज़ी है मेरे रब की

कहाँ तुझ से मुझ को मिलाया था

बरसों बाद तेरे गले से लग कर

मा जाने क्या क्या याद आया था

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