किसी को तश्नगी गवारा
किसी को जाम की तलब है
यहाँ हेर दिल मोखतालीफ़ है
और हेर आरज़ू अलग है
किसी को चाह है मंज़िलों की
किसी को सफ़र की उमंग है
कहीं दश्त ज़िंदगी है
कहीं ज़िंदगी मलांग है
कहीं उम्मीद हेर सवेरा
कहीं मायूसीओं की जुंग है
कहीं सवाल की है हसरत
कहीं सवाल खुद से तंग है
कहीं सर्ड जान मुंतज़ार है
कहीं शोला नवा दबंग है
कहीं मक़सूद रहनुमा है
कहीं राहबर उसके संग है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें