बुधवार, 16 मार्च 2022

था एक नूवर का पैकर तू.....................

 


कल

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इन खिलती कलियों से

तेरे लूब बड़े प्यारे थे

इस शफ़ाक़ की लाली ने

तेरे रुखसार संवारे थे

उन न्हंनी आँखों मे

मानो चाँद सितारे थे

जैसे फूलों से गूँधा था तू

तुझ से चमन के वारे न्यारे थे

था एक नूवर का पैकर तू

तुझ मे क़ुद्रट के इशारे थे

एक तब्बासुम ने तेरे मुझ से

चीन लिए घूम सारे थे

आ तुझे सीने से लगा कर हम

भूल गये अपने गलियारे हे

तू मिला एक साज़ नया बन कर

हम सदियों से सोज़ के मारे थे

तू इसरार था रब का जान मेरी

हेर पल हम खुद को हारे थे

था तेरा लांस खुदा की क़ुरबत 

तुझ मे उसके जलवे सारे थे

ता-उम्र माँगी थी जो दुआ हुँने

तुम मेरी उम्मीद से प्यारे थे

अपनी उलफत भेजी रब ने तुम मे

सारे रंग उसके बड़े न्यारे थे



आज

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उम्मीद का हेर मोसां

तेरे लफ़्ज़ों ने जला डाला

दिल-ए-मादार जो क़िला था कल

उसे एक पल मे हिला डाला

कल जैसे कोई नही आया

आज मे उस कल को सुला डाला

इस तू तू मई की जंग पुरानी से

हेर एहसास को ज़ंग लगा डाला

कूब वो एहसास हुए ज़ाएल

इस दौर ने साएल उनको बना डाला

क्या वक़्त उस कल को मिटाता है

या इंसान ने उसको मिटा डाला

आज का हेर पहलू कल से जूड़ा है गर

फिर उस कल से किसने तुझको कटा डाला

एक आसान ज़ुबान है मा तेरे उलफत की

तेरे लहू से तूने एक दिल बना डाला

वो जिस्म भी तेरा है वो दिल भी है तेरा

ये किसने हुकूमत का सिक्का बिता डाला

यहाँ दौर बदलते हैं और हुकूमत भी

देख रंग मोहब्बत का कितनों को सज़ा डाला

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