सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

मई एक खामोश समंदर हूँ


मई एक खामोश समंदर हूँ
मुझे साहिल की ज़रूरत क्या है
जिस कश्ती को हो मंज़िल का पत्ता
उसे किनारों की ज़रूरत क्या है
टुंडड़ थपेड़ों का सहारा जिनको
उन्हें बादबान की ज़रूरत क्या है
रहा हो हवाओं का करम जिन पेर
उन्हें आज़माने की ज़रूरत क्या है
राहनुमा होजाए भटकती लाउ ही
उन्हें भटकने की ज़रूरत क्या है
भंवर गर्र्दाब जिनका सहारा होंगे
उन्हें किसी और की ज़रूरत क्या है
बिन माँगे मिल जाए जिन्हें मोटी
उन्हें माँगने की ज़रूरत क्या है
मांगतों की झोली देखी सदा खाली
साएल को सवली की ज़रूरत क्या है
राज़ हस्ती पे मुहित है कईनाथ
आईना दिखाने की ज़रूरत क्या है

शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

किरदार

दौलत के ढेर पैर
जो हुए हैं बडे
काश होते इनमे कहीं
लाल किरदार के भी जुडे
नफस की रोज़ है खाना-पूरी
दावे शराफत के हैं बडे
हेर नेक से साड़ों का बैर है
खुद ज़मीर से कभी न लादे
रौशनी ज़र्र-ओ-जाण माय कहाँ
चाँद उल्फत का जब तक न चदे

शहर-ए-दिल

जब आप से बातें करते हैं
वही वक़्त अपना लगता है
एक सिरी दिल को हासिल होती है
सारा आलम बेगाना लगता है
जिस तरह खुदा को देखा नहीं
एक एहसास जाना माँआना लगता है
हेर बाब अनदेखी मुलाकातों का
शेहेर-इ-दिल का फ़साना लगता है
क्या नाम दे कोई इन जज्बों को
ये साँसों का बहाना लगता है

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

ख़याल


हक़ीक़त ख़याल की जुब जान लो
ज़हमत ख़याल को ना दिया करो
ख़याल तो फिर ख़याल हैं
कोइ मलाल इनका ना किया करो
ये उमर का इब्तेदाई लिबास हैं
इन्हें उमर-भर ना सिया करो
ये बे-सबाट ज़िंदगी का ख्वाब हैं
हक़ीक़तों की तरहा ना जिया करो

रंग बिखेरने की हो गर आरज़ू
कॅन्वस हाथों मे लिया करो
दर्द का सफ़र उजलाटों मे ना हो
अपने आँसू आराम से पिया करो
संग दिल सह्रईयों का जहाँ ये
तुम इनका मातम ना किया करो
गये दिनों की बातें भी गयीं
उन्हें फिर आवाज़ ना दिया करो
फूलों की सैरगाह हैं ख़याल
तुम इन की खुश्बू ना लिया करो

विदा


मेरे यक़ीन से उस को इतना प्यार है
मुझसे बिछड़ के भी मेरा इंतिज़ार है
विदा किया जिसने मुझ को कह कर अलविदा
आज मेरे इंतिज़ार मे वही बे-क़रार है
सेलेब पेर ज़रूरतों की लटक रही है ज़िंदगी
सर पेर मुअल्लाक़ शिकाएटों की तलवार है
मिलेगी उम्मीद को कभी मंज़िल यक़ीन रख
सब कुछ है तेरे पास,सबर दरकार है
बीच राह मे कोइ खलिश आज़माए अगर
साँझ लीजियो ये फ़ाक़ात नफ़स की तकरार है
ये इश्क़ का सफ़र आसान नही है तालिबो
हेर लम्हा इम्तिहान ,हेर राह खारदार है