अजब मीठास है इस ख़याल की
है खबर उसे मेरे हाल की
गुल ही गुल खिले हैं हेर तरफ
मदाह-सराही है उस बे-मिसाल की
खैर-ओ-शार्र का है वही आईना
जैसे कोई किरण अक़ा के जमाल की
एहतमम इज़हार का कहता है यही
रंग ला रही है रंगत मलाल की
ख़याल मुस्कुरा उठा इस ख़याल से
हैं ये हिकाएतें उसके ख़याल की
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