बारिश की ये बूँदें
जाने कॉन्सा राग सुनती हैं
ये चूम चूम करता पानी
जाने किस के घर से लाती हैं
ये शोर मचाते भीगे पयड
कहते हैं ये तो पुराने साथी हैं
ये प्यासी धरती से मिल कर
एक नइई महक दे जाती हैं
इन न्हंनी मुन्नी बूँदों से
हुमको प्यार बड़ा है लायकिन
जुब ये मिलती हैं नूं आँखों से
अपना आकार बड़ा कर जाती हैं
अक्सर ये सावन की रातें
इन बूँदों के संग बह जाती हैं
कोई दिल प्यासा है इन बूँदों का
कभी ये प्यासी रह जाती हैं
खाली आँखों मे ये बूँदें
कोई ख्वाब पुराना लाती हैं
आए काश इन बूँदों के संग
किसी को याद हमारी आती हो
बारिश की इस टिप टिप से
कोई बात हमारी सताती हो
माना के तुम बदल हो हम मिट्टी
ये बारिश हक़ हमारा याद दिलाती हो
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