ये जो रुका हुआ कारवाँ है
खुद मंज़िलों का निशान है
जहाँ चाहूं हो उलफाटों की
वही उसका नया मकान है
बरहा सेहरा ने उस से पूछा
ये क्या तेरे मेरे दरम्यान है
जैसे उफ़ाक़ वासल का है धोका
मेरा तहेरना तेरा गुमान है
नखल जुसातजू का ही है हासिल
सराब ये जहाँ या वो जहाँ है
अब प्यास कोई नही है बाक़ी
हेर क़तरे मे कौसर अयान है
तूने कहा है तू सब जानता है
फिर किस लिए तू बदगुमान है
ये रेत का सफ़र है ना रुकेगा
क़दमों को इसकी खबर कहाँ है
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