आए शाम हुस्न तेरा क्यों उदास है
नज़ाने कौन से मंज़र की प्यास है
मई आईं हूँ और वो साना-कार है
दुनिया बदलने का हुनर उसके पास है
तेरी तरहा मई भी एक उम्मीदवार हूँ
मुद्ड़ातों से मुझ को उसकी ही आस है
ये इंतिज़ार तुझे कभी ढालने नही देगा
तू बाक़ी रहेगी जुब तक बाक़ी तेरी आस है
सौ दिल बने तब कहीं उसने खुदा कहा
बस उसी एक लम्हे का खुदा को पास है
कारोबार जहाँ का है कुछ इस तराहा
यहाँ कोई आम है तो कोई ख़ास है
गुम जो कर गाइ वो भी तेरी ही राह थी
दीवानगी मेरी तेरे जुनून की असास है
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