बुधवार, 10 मई 2023

ये नये रतजगों की नूमी है..............

 



ज़िंदगी नये सफ़र पेर

लगता है निकल गाइ है

शाएेद दिल की दुनिया 

रंग अपना बदल गाइ है

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ख्वाब सफ़र के रास्तों को

मुसफेरों की क्या कमी है

ख्वाबिदा आँखों मे आए दिल

ये नये रतजगों की नूमी है

ना घूम है ना खुशी है

नब्ज़ भी थमी थमी है

लिपटी है कोहरे मे दुनिया

या ढूंड सोचों पेर जमी है

ज़िंदगी ,ज़िंदगी लगती नही है

शाएेद,तेरी साँसों की कुमी है

सुरघ उस जहाँ का मिल गया है

इस सफ़र पेर तू तन्हा नही है

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