ज़िंदगी तू जुब ना रही
होगई तेरी याद ज़िंदगी
है माम्मा उलफत तेरी
थी अभी तू नही है अभी
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खामोशियों को देखा है फिर से झिंजोड़ कर
वाँ भी कुछ नही था खामोशियों को छोड़ कर
शामिल था ज़िंदगी मे जो शब-ओ-रोज़ की तरहा
वो चल दिया अचानक मुझ को यों तन्हा छोड़ कर
जो दिल अपनी ही अठखेलियों मे तौमर मगन रहा
अंजन था मिलती है खुशी चादर घूम की ओढ़ कर
जमाने भर के घूमों का बेड़ा जिसने घर्क़ कर दिया
चल दिया तूफान आशना उसे थपेड़ों मे छोड़ कर
थी किसे खबर शाम-ए-घूम इतनी होगी तवील-टर
बूँद बूँद ज़िंदगी का लेजाएगी यादों से निचोड़ कर
रंग चाहतों के हसरतों से मिल कर बहेल गये
ख्वाब जीतने थे ज़िंदगी के चल दिए मूह मोड कर
आख़िर ये दिल अपनी ज़द से आगे निकल ही ना सका कभी
एक तुम ही थे मेरी हस्ती को रखते थे जोड़ कर
आ, ज़िंडों के दरम्यान खुद को ज़िंदा नही लगी
तुम्हारी याद ने थमा है बारहा मुझ को दौड़ कर
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