हक़ीक़त ख़याल की जुब जान लो
ज़हमत ख़याल को ना दिया करो
ख़याल तो फिर ख़याल हैं
कोइ मलाल इनका ना किया करो
ये उमर का इब्तेदाई लिबास हैं
इन्हें उमर-भर ना सिया करो
ये बे-सबाट ज़िंदगी का ख्वाब हैं
हक़ीक़तों की तरहा ना जिया करो
रंग बिखेरने की हो गर आरज़ू
कॅन्वस हाथों मे लिया करो
दर्द का सफ़र उजलाटों मे ना हो
अपने आँसू आराम से पिया करो
संग दिल सह्रईयों का जहाँ ये
तुम इनका मातम ना किया करो
गये दिनों की बातें भी गयीं
उन्हें फिर आवाज़ ना दिया करो
फूलों की सैरगाह हैं ख़याल
तुम इन की खुश्बू ना लिया करो
ज़हमत ख़याल को ना दिया करो
ख़याल तो फिर ख़याल हैं
कोइ मलाल इनका ना किया करो
ये उमर का इब्तेदाई लिबास हैं
इन्हें उमर-भर ना सिया करो
ये बे-सबाट ज़िंदगी का ख्वाब हैं
हक़ीक़तों की तरहा ना जिया करो
रंग बिखेरने की हो गर आरज़ू
कॅन्वस हाथों मे लिया करो
दर्द का सफ़र उजलाटों मे ना हो
अपने आँसू आराम से पिया करो
संग दिल सह्रईयों का जहाँ ये
तुम इनका मातम ना किया करो
गये दिनों की बातें भी गयीं
उन्हें फिर आवाज़ ना दिया करो
फूलों की सैरगाह हैं ख़याल
तुम इन की खुश्बू ना लिया करो
बहुत खूबसूरत रचना ....
जवाब देंहटाएंये उमर का िबतिडाई लिबास हैं...इस पंक्ति का एक शब्द समझ नहीं आ रहा ...कृपया ठीक करें ..
दिल को छू लेने वाली रचना, बधाई
जवाब देंहटाएंye umr ka ibtidaii libaas hain..matlab shuru ka..
जवाब देंहटाएंshukriya mujhe padhne ka..sarahna ka...
chaand
jub baat dil ki chalegi,dil say niklegi,tou dil ko chuyegi bhi..mujhe khushi hai ke ye safar dilon ka ,ek nakhatam hone waala haseen silsila hai...so dua hai,jaari rahe..
जवाब देंहटाएंchaand
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 12 -10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
रंग बिखेरने की हो गर आरज़ू
जवाब देंहटाएंकॅन्वस हाथों मे लिया करो
रंगो को यह कैनवस वाकई खूबसूरत है.
बेहतरीन रचना
गये दिनों की बातें भी गयीं
जवाब देंहटाएंउन्हें फिर आवाज़ ना दिया करो
फूलों की सैरगाह हैं ख़याल
तुम इन की खुश्बू ना लिया करो
जी बिलकुल समझ गए...अब ये गुस्ताखी न करेंगे. :):):)
बहुत खूबसूरती से समझाती रचना.
बहुत ही सुन्दर रचना, वाह!
जवाब देंहटाएंPriyajano...aap sab ki sarahna ka shukriya...
जवाब देंहटाएंchaand
sangita ji..mujhe ye jaan kar khushi huii ke aapne meri kavita ko is qaabil samjha..mai zarur likhungi..
जवाब देंहटाएंchaand
एक बार यहाँ भी देखें ...
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/2010/10/20-304.html
"हक़ीक़त ख़याल की जुब जान लो
जवाब देंहटाएंज़हमत ख़याल को ना दिया करो
ख़याल तो फिर ख़याल हैं
कोइ मलाल इनका ना किया करो"
ख्याल तो हवा का झौंका भर है उसे हाथों में कैद कर पाना मुमकिन ही नहीं. बेहद खूबसूरत रचना. आभार.
सादर
डोरोथी.