गुरुवार, 14 जनवरी 2010

ये बेखुदी कह रही है



ये बेखुदी कह रही है
ये बे-सबब नही है
कोइ दुश्मन होश का है
कोइ होश अब नही है
दीवाना दिल कह रहा है
दीवाना ये कूब नही है
खर्ड का अब क्या करोगे
खीर्ड गर सब नही है
दुनिया से क्या दिल लगाना
दुनिया अपनी जुब नही है
कल का ख्वाब,ख्वाब है
कल गर कोई शब नही है
हेर साँस कस्माकश है
हेर तरफ तू जुब नही है

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  2. ye shabd gar na hote..phir ye bhav sandesh bhi na hote...her khubsurat haqeeqat ka zaahir hona bhi khubsurat karam hota hai...

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