बुधवार, 2 दिसंबर 2009

ये रात का फुसून है


ये रात का फुसून है के
उदास शाम का क़ुसूर है
ये दिल की बात है दिलरुबा
कहीं तेरा ख़याल ज़रूर है
तू मोक़ं है मई हाल हूँ
मेरा कैफ़ तेरा शऊर है
मई अभी महू-ए-ख़याल हूँ
तू साहेब-ए-हुज़ूर है
मई एक भटकती शमा
तू दयार-ए-नूवर है
मेरी रोशणिओन का राज़ तू
तेरे दम से मेरा ज़हूर है
सब ने बस देखा तुझे
दुनिया का ये ही दस्तूर है
नज़ाने क्यों है यक़ीन
तेरे भेस मे कोई और है
हाला हूँ मई है चाँद तू
तू ही मेरा घुरूर है

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