रुत है रहमातों की
मोसां है बख़्शिशों का
कोई लम्हा फ़ैज़ का
बस मिल जाने को है
वो सुर्ख रंग मोसां
फिर से आने को है
फिर रंग उसके दिल का
रंग लाने को है
कोई मुसलसल कह रहा है
तू सदा मेरा रहा है
किसी ज़मीन आसमान मे
तेरे यक़ीन,तेरे गुमान मे
एक मूभम ख़याल बन कर
मुझ मे छुपा हुआ है
वही दोस्त का मर्तबा है
वही आज़मात-ए-दुआ है
दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
जवाब देंहटाएंji sataye hi eshwar hai..aur eshwar hi sundar hai...
जवाब देंहटाएं