गुरुवार, 17 नवंबर 2011

एक साथ अहद का है...........




तेरे मेरे दरम्यान
एक रिश्ता है इरफ़ान का
ये नज़र ना हो जाए
फिर किसी तूफान का
तक़दीर तन्हा नही मिलती
क़िस्तें हैं शेरतों की
एक साथ अहद का है
दूजा अहद शैतान का
कोई लाख जतन करले
इसे रोक नही पाया
ये खेल हैं क़ुद्रट के
काम नही इंसान का
आए गोशा-ए-जिगर तुझ को
पलकों मे छुपा रखते
कभी रुखसत नही करते
घर जाना ही बहतेर है
आए हुए मेहमान का
नही तुझ सा कोई जौहर
कोइ लाल नही तुझ सा
तू अनमोल ख़ज़ीना है
हिस्सा है मेरी जान का


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