मंगलवार, 26 मई 2009

मई हैरान हूँ आज कल.....


मई हैरान हूँ आज कल
मजनू यहाँ पे मिलते है
लैला की तलाश जारी है
इनका ग़रेबान भी चाक है
और चेहरे पेर मलाल भी
दिल भी भारी भारी है
इश्क़ का कोई मेयर नहीं
ना वाडा-ए-वफ़ा की क़ैद है
एक जुनून सा तारी है
हेर चेहरा महबूब नज़र आए
दिल की अजीब हालत है
इश्क़ नही कोई बीमारी है
सब कुछ नज़र का धोका है
लूब-ओ-रुखसार की सुर्खी भी
इश्क़ भी अब अदाकारी है
मेरी तरफ ना देख ज़माने
मैं तेरा ही शाहकार हूँ
फिर बदलने की टायारी है
मोहब्बत एक हसीन इबादत है
कूब समझेंगे ये दिल वेल
"चाँद"इश्क़ मुकामल बेक़ारारी है 

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