तेरे मेरे दरम्यान एक रिश्ता है इरफ़ान का ये नज़र ना हो जाए फिर किसी तूफान का तक़दीर तन्हा नही मिलती क़िस्तें हैं शेरतों की एक साथ अहद का है दूजा अहद शैतान का कोई लाख जतन करले इसे रोक नही पाया ये खेल हैं क़ुद्रट के काम नही इंसान का आए गोशा-ए-जिगर तुझ को पलकों मे छुपा रखते कभी रुखसत नही करते घर जाना ही बहतेर है आए हुए मेहमान का नही तुझ सा कोई जौहर कोइ लाल नही तुझ सा तू अनमोल ख़ज़ीना है हिस्सा है मेरी जान का
हेर दर्द गवारा है लायकिन कोइ और फसाना तुम ढुणडो हेर ज़ख़्म सितारा है लायकिन कोइ और बहाना तुम ढुणडो अब यहाँ जीना मुश्किल है कोइ और ज़माना तुम ढुणडो छूँड साँसें हैं बस अपनी कोई और ठिकाना तुम ढुणडो अफ खेल ये ज़ालिम ले डूबेगा कोइ और दीवाना तुम ढुणडो कोइ घड़ी खाली नही तुम से कोइ और वीराना तुम ढुणडो
लोग कहते हैं सराब है ये धोका है मगर मई ये कहती हूँ ये खुद को पाने का मौक़ा है शब-ए-घूम का ये शबनमी आँसू ये वीरान दिलों की है खुश्बू ये है तन्हा सुलगता अंगारा ये सियाह रातों का लश्कारा खामोशी मे जैसे कोई सरगोशी रूह मे उतेर जाए एक सुई सी ये दिल वालों का मज़हब है ये दीवानों का मानसब है क्या कहीं कोइ दिल सवाली है क्या कहीं कोइ दामन खाली है जिस दिल मे ये समा जाए वो दिल हेर दिल को महकाय मोहब्बत क्या क्या ना समझाए महबूब के संग मेराज तक पाए
ना आवाज़ दे वो ख़याल को हक़ीक़तों का जिसे शऊर हो उसे घरज़ क्या जहाँ की भीड़ से जो आसमानों मे माशूर हो तू पुकारता है जिसे है यहीं वो कोई भरम नही के डोर हो मोहब्बत है एक खामोश अदा ज़रूरी नही के वाँ शोर हो तू जानता है,नही पहेचआंता आईना बन,के उसे घुरूर हो